हिन्दू धर्म में दिवाली का त्यौहार सबसे बड़ा त्यौहार माना जाता है, इस त्यौहार की तैयारी महीनों पहले शुरू हो जाती है। इसकी शुरुआत धनतेरस से हो जाती है, इस साल 31 अक्टूबर को दिवाली मनाई जाएगी। दिवाली के दिन माता लक्ष्मी और गणेश जी की विशेष रूप से पूजा अर्चना की जाती है।
इसके लिए हर साल दिवाली पर मां लक्ष्मी और गणेश जी की नई मूर्ति खरीदी जाती है। आइए जानते हैं हर साल दिवाली क्यों खरीदी जाती है मां लक्ष्मी और गणेश जी की मूर्ति, आखिर क्या है इसका महत्व ?
आपको बता दें, दिवाली में लक्ष्मी-गणेश की वही मूर्ति नई खरीदी जाती है जोकि मिट्टी से बनी होती है. सोना, चांदी या पीतल जैसे धातुओं की मूर्ति को नहीं स्थापित किया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, प्राचीन काल में मिट्टी से बनी मूर्तियों में पूजा करने का अधिक प्रचलन था जो उस समय सालभर रखने के बाद खंडित, खराब या बदरंग सी हो जाया करती थी इसलिए दिवाली के शुभ मौके पर मूर्ति का विसर्जन करके नई मूर्ति लाई जाती थी, जिसके बाद से दिवाली पर हर साल नई मूर्ति खरीदने की परंपरा की शुरुआत हो गई।
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