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औरंगजेब की मजार के लिए 6 लाख, और शिवाजी के मंदिर के लिए सिर्फ 250 रुपये

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हाल ही में सामने आए एक चौंकाने वाले खुलासे ने राजनीति में एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। जानकारी के मुताबिक, महाराष्ट्र सरकार ने औरंगजेब की मजार पर खर्च किए गए 6 लाख रूपये का खुलासा किया है, जबकि मराठा सम्राट शिवाजी महाराज के मंदिर के पुनर्निर्माण पर केवल 250 रुपये ही खर्च किए गए हैं। इस वित्तीय वितरण ने न सिर्फ लोगों के बीच गुस्सा पैदा किया, बल्कि एक बार फिर से देश में धार्मिक भेदभाव और प्रशासनिक प्राथमिकताओं पर सवाल उठाए हैं।

रिपोर्ट्स के खुलासे
रिपोर्ट के अनुसार, महाराष्ट्र सरकार ने औरंगजेब की मजार की देखभाल और उसके पुनर्निर्माण के लिए 6 लाख रुपये का खर्चा किया था। यह धनराशि मजार को सजाने और उसे संरक्षित करने के लिए खर्च की गई जिससे औरंगजेब की मजार को एक भव्य रूप दिया गया था। वहीं दूसरी ओर, शिवाजी महाराज के मंदिर के पुनर्निर्माण और संरक्षण के लिए मात्र 250 रुपये खर्च किए गए जो कि शिवाजी के वंशजों और उनके समर्थकों के लिए एक अपमान के रूप में देखी जा रही है।

सरकार पर धार्मिक भेदभाव का आरोप
महाराष्ट्र में इस खुलासे के बाद से धार्मिक भेदभाव का मुद्दा एक बार फिर तूल पकड़ लिया है। महाराष्ट्र में शिवाजी महाराज को मराठों का आदर्श और वीरता का प्रतीक माना जाता है, जबकि औरंगजेब का शासन भारत में सिर्फ अत्याचार और धार्मिक असहिष्णुता के लिए प्रसिद्ध है। ऐसे में जनता के मन में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि क्यों औरंगजेब की मजार पर इतनी अधिक राशि खर्च की गई, जबकि शिवाजी जैसे महान योद्धा के मंदिर की मरम्मत के लिए इतनी मामूली रकम? राजनीतिक नेताओं और विपक्षी दलों का आरोप है कि सरकार अपनी प्राथमिकताओं में भारी भेदभाव दिखा रही है और यह कार्य केंद्र और राज्य सरकार की नीतियों का एक हिस्सा है, जो कि हिंदू धार्मिक स्थलों के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है।

समाज का गुस्सा और सार्वजनिक प्रतिक्रिया

इस खुलासे के बाद से देश भर में सरकार की कड़ी आलोचना की जा रही है। सोशल मीडिया पर लोगों की प्रतिक्रियाएँ सामने आई हैं, जिसमें कई लोगों ने इस असमानता को लेकर सवाल उठाए हैं। लोग इस बात को लेकर नाराज हैं कि कैसे एक ऐतिहासिक व्यक्ति जिसने भारत के लोगों पर सिर्फ अत्याचार किए है, उसके स्मारक पर इतनी बड़ी राशि खर्च की जाती है, जबकि एक महान स्वतंत्रता सेनानी और राष्ट्र निर्माता के मंदिर पर न के बराबर पैसे खर्च किए जा रहे हैं।