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महाकुंभ खत्म होने में अब सिर्फ 4 दिन बचे हैं और श्रद्धालुओं का सैलाब लगातार बढ़ रहा है। महाकुंभ शुरू हुए एक महीने से ज्यादा हो गया है मगर सड़कों पर जाम की स्थिति वैसी की वैसी ही है। महाकुंभ शुरू होने से पहले सरकार ने बड़े बड़े दावे किए थे लेकिन हकीकत इससे बिल्कुल अलग है। प्रयागराज में जन सैलाब लगातार बढ़ रहा है जिससे सबसे बड़ी समस्या जाम की हो रही है।
आज महाकुंभ के आखिरी सप्ताह में भी संगम तक जाने वाले रास्तों पर कई कई घंटों से जाम लगा हुआ है मगर प्रशासन की ओर से इसपर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। लोग घंटों जाम में फंसे हुए हैं, भूखे प्यासे अपनी गाड़ियों में रेंग रेंग कर आगे बढ़ रहे हैं लेकिन यातायात नियंत्रण के लिए कोई ट्रैफिक पुलिस नहीं है।
आलम ये है कि भीषण जाम के कारण सभी वाहनों को संगम क्षेत्र से 10 से 12 किलोमीटर पहले ही रोक दिया जा रहा है जिससे आम लोगों को पैदल ही अपनी यात्रा पूरी करनी पड़ रही है। हालांकि, श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए अटल बस सेवाएं, ऑटो और ई-रिक्शा, चलवाए जा रहे हैं लेकिन ये श्रद्धालुओं से मनमाना किराया वसूल रहे हैं। ऑटो- ई-रिक्शा वाले श्रद्धालुओं से एक-एक किलोमीटर की दूरी के लिए भी दो-दो सौ रूपये वसूल रहे हैं। ऐसे में इन श्रद्धालुओं को महाकुंभ में एंट्री से लेकर एग्जिट पॉइंट तक जाने के लिए 500 से 1000 रूपये तक देने पड़ रहे हैं।
एक हकीकत ये भी है कि महाकुंभ का इतना भव्य प्रचार और प्रसार करने वाली सरकार ने महाकुंभ तक आने-जाने वाले रास्तों के लिए कोई इंतजाम किए ही नहीं हैं। सरकार का सारा ध्यान सिर्फ और सिर्फ VVIP कल्चर और महाकुंभ से बढ़ने वाली आय पर ही केंद्रित था।
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