
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश सरकार और प्रयागराज विकास प्राधिकरण को कड़ी फटकार लगाते हुए प्रयागराज में घरों को तोड़ने की कार्यवाही को अमानवीय करार दिया है। आपको बता दें कि , न्यायमूर्ति अभय श्रीनिवास ओका और उज्ज्वल भुइंया का कहना है कि, देश में कानून का राज है और किसी भी नागरिक के आवास को इस तरह ध्वस्त करना गलत है, कोर्ट इन नियमों के खिलाफ है।
मुआवजा देने का दे दिया आदेश
शीर्ष अदालत ने प्रयागराज विकास प्राधिकरण को आदेश दिया है कि जिन लोगों के घर तोड़े गए हैं उन्हें छह हफ्ते के अंदर 10–10 लाख रूपये का मुआवजा दिया जाए।
क्या था मामला

मामला 2021 का है जहां प्रयागराज में एक वकील और प्रोफेसर के साथ 3 अन्य लोगों के मकान तोड़ दिए गए थे। उनपर आरोप था कि यह जमीन गैंगस्टर अतीक अहमद की है। हाल ही में सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हो रही है जिसमें बुलडोजर कार्यवाही के दौरान एक 8 साल की बच्ची अपनी किताबें लेकर भागती हुई नजर आ रही थी। जिसका हवाला देते हुए जस्टिस उज्जवल भुइंया ने कहा कि उत्तर प्रदेश के अम्बेडकर नगर में 24 मार्च को अतिक्रमण विरोधी अभियान के दौरान एक झोपडी पर बुलडोजर चलाया गया लेकिन एक छोटी बच्ची अपनी किताबें लेकर भाग रही थीं ये किसी ने नहीं देखा। घर गिराने की प्रक्रिया असंवैधानिक थी यह हमारी आत्मा को ठेस पहुंचाता है। राइट टू सेल्डर नाम की भी कोई चीज होती है। इस तरह की कार्यवाही को कोर्ट किसी भी तरह स्वीकार नहीं करेगी। जिन लोगो के मकान तोड़े गए हैं उन्हें मुआवजा दिया जाए और यह मुआवजा इस लिए भी जरूरी है ताकि भविष्य में सरकारें बिना उचित प्रक्रिया के लोगों के मकान गिराने से पहले सोचें
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