
उत्तर प्रदेश के बनारस में मसान की होली पूरे देश में प्रसिद्ध है। होली का उत्सव पूर्णिमा से प्रारंभ होकर पूरे छह दिनों तक चलता है। देश भर से साधु संतों के साथ-साथ आम लोग भी वाराणसी में मसान की होली खेलने के लिए आते हैं। लेकिन इस बार की ये होली सिर्फ साधु संतों के लिए हो होगी। आपको दें कि इस बार वाराणसी में मसान की होली को लेकर कई अपील की गई जैसे हरिश्चंद्र घाट पर सिर्फ नागा सन्यासी और अघोरी ही होली खेलेंगे कोई भी महिला या पुरुष मसान होली में शामिल नहीं होंगे , कलाकार सिर्फ शोभा यात्रा में ही शामिल होंगे और नशा करके उत्सव में कोई भी शामिल नहीं होगा , साथ ही लाउडस्पीकर का उपयोग नहीं किया जाएगा ।

वहीं आपको बता दें कि इस उत्सव के पीछे बहुत पुरानी वैदिक परंपरा मानी जाती है। यह परंपरा आदिकाल से चली आ रही है। कहा जाता है इस दिन महादेव को मृत्यु पर विजय प्राप्त हुई थी। धार्मिक कथाओं के अनुसार भोलेनाथ ने यमराज को इस दिन पराजित किया था जिसके बाद चीता की राख से होली खेली गई थी, और तबसे लेकर आज तक वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर बड़े ही धूमधाम से मसान की होली का आयोजन किया जाता है l देश भर से आये शिव भक्त महादेव की पूजा-अर्चना और यज्ञ करते हैं। इसके बाद चीता की भस्म से होली खेलते हैं। और इस बार वाराणसी में मसान की होली 11 मार्च को मनायी जायेगी।
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