
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप चीन को एक बाद एक झटके दिए जा रहे हैं। ट्रंप ने सख़्ती दिखाते हुए चीन पर 145 प्रतिशत का टैरिफ लगा दिया है। इतना ही नहीं ट्रंप ने चीन को छोड़कर अन्य सभी देशों पर टैरिफ को 90 दिनों तक के लिए रोक दिया है।
इसपर चीन का कहना है कि, अमेरिका की तरफ से लगाए गए असामान्य टैरिफ अंतर्राष्ट्रीय और आर्थिक व्यापार नियमों का गंभीर रूप से उल्लंघन करते है। ये अमेरिका की पूरी तरह से एक तरफा दादागिरी है।
चीन के वाणिज्य मंत्रालय का कहना है कि, अगर अमेरिका बेरोकटोक मनमानी करता रहा तो चीन पूरी ताकत से ट्रेड वार लड़ेगा। उन्होंने कहा कि, ट्रेड वार में कोई नहीं जीतता लेकिन अमेरिका अपनी मनमानियों से बाज नहीं आया तो चीन भी पीछे नहीं हटेगा।
वहीं अमेरिकी झटके से उबरने के लिए चीन ने अब यूरोप का रुख किया है। चीन के प्रधानमंत्री ली कियांग और यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन के बीच फोन पर लंबी बातचीत हुई। इसके अलावा हाल ही में बीजिंग में स्पेन के प्रधानमंत्री से मुलाकात के दौरान राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कड़ा संदेश देते हुए कहा कि, चीन और यूरोप को अंतरार्राष्ट्रीय जिम्मेदारियों को निभाते हुए अमेरिका की एक तरफा और ज़बरदस्ती की नीतियों का मिलकर विरोध करना चाहिए।

भारत से भी आशाएं
ट्रंप की नीतियों के विरोध के लिए चीन ने भारत की ओर भी मदद की आस लगाई है। हाल ही में चीनी दूतावासों ने बयान दिया था कि अमेरिका की टैरिफ नीति विकासशील देशों के हक छीन रही है। ऐसे में भारत और चीन को एक साथ खड़े होना चाहिए।
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