अकबर ताज के संघर्षो की कहानी उन्ही की जुबानी.. एक्सक्लुसिव इंटरव्यू
खंडवा जिले के हापला दीपला में रहने वाले 44 वर्षीय कवि अकबर ताज मंसूरी देख नहीं सकते , लेकिन उनकी रचनाऐं सूरदास से कम नहीं हैं। अपनी इन्हीं रचनाओं के के लिए अकबर ताज देश भर में प्रसिद्ध हैं और श्रीराम का गुणगान करते रहते हैं। अकबर ताज मंसूरी दिल्ली, जयपुर, हैदराबाद, सूरत और लखनऊ सहित देशभर में हिंदी मंचों पर अपनी रचनाओं का पाठ कर चुके हैं। हरसूद के दृष्टिहीन शायर अकबर ताज जब भी कोई देशभक्ति की कविता पढ़ते तो हर कोई देशभक्ति के रंग में डूब जाता।
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