अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) के अल्पसंख्यक दर्जे को लेकर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला लिया है, सुप्रीम कोर्ट ने साल 1967 में दिए गए अपने ही फैसले को पलट दिया है। जिसमें कहा गया था कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी अल्पसंख्यक संस्थान के दर्जे का दावा नहीं कर सकती। लेकिन शुक्रवार को कोर्ट ने अपना ही फैसला बदलते हुए कहा है कि अगर कोई संस्थान कानून के तहत बना है तो भी वह अल्पसंख्यक संस्थान होने का दावा कर सकता है। अब अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का अल्पसंख्यक दर्जा बरकरार रहेगा या नहीं, इसका फैसला नियमित पीठ करेगी। बता दे, सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की संवैधानिक पीठ ने 4:3 के बहुमत से यह आदेश दिया है।
आपको बता दें, साल 2005 में AMU ने खुद को अल्पसंख्यक संस्थान मानते हुए मेडिकल के पीजी कोर्सेस में 50 प्रतिशत सीटें मुस्लिम छात्रों के लिए रिजर्व कर दीं, तो इसके खिलाफ हिन्दू छात्र इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंचे थे, तब 2006 हाईकोर्ट ने अपने फैसले में एएमयू को अल्पसंख्यक संस्थान नहीं माना था जिसके बाद बाद AMU सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और साल 2019 में यह मामला 7 जजों की संवैधानिक बेंच को भेजा गया था जिसके बाद अब बेंच ने फैसला सुनाया है कि AMU का अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा बरकरार रहेगा। हालांकि अंतिम फैसले के लिए पीठ ने मामले को नियमित पीठ के पास भेज दिया है।
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