15 फरवरी की रात, एक गलत अनाउंसमेंट, हज़ारों घायल और 18 मौतें। हम बात कर रहे हैं शनिवार को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर मची भगदड़ की। इस घटना पर सवाल उठता है कि,आखिर देशभर में कुंभ का पर्याप्त इंतजाम करने का दावा करने वाला प्रशासन, देश की राजधानी के स्टेशन पर भगदड़ क्यों नहीं रोक पाया? क्या रेलवे प्रशासन हजारों लोगों को संभालने में सक्षम नहीं था? क्या ऐसी व्यवस्था नहीं होनी चाहिए थी जिससे प्लेटफॉर्म पर भगदड़ ही ना मचती?
शनिवार रात रेलवे स्टेशन पर महाकुंभ जाने वाले यात्री प्लेटफॉर्म नंबर 14 और दरभंगा जाने वाले यात्री अपनी अपनी ट्रेनों का इंतजार कर रहे थे। दोनों ही प्लेटफार्म पर इस कदर भीड़ इक्कठा थी कि वहां एक पैर रखने भर की भी जगह नहीं थी, उसी बीच रेलवे स्टेशन पर एक घोषणा हुई कि प्लेटफॉर्म नंबर 16 पर प्रयागराज से नई स्पेशल ट्रेन आ रही है। बस फिर क्या था ये एक घोषणा और प्रयागराज जा रही भीड़ को लगा कि यही ट्रेन प्रयागराज के लिए वापसी भी करेगी। स्पेशल ट्रेन की घोषणा सुनते ही प्रयागराज जा रहे सभी यात्री प्लेटफॉर्म नंबर 14 से 16 की तरफ भागने लगे। प्लेटफार्म 14 से 16 तक जाने के लिए सिर्फ एक फुटओवर ब्रिज और यात्री हजारों की संख्या में। उसपर भी ब्रिज पर पहले से बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे। जब सीढ़ियों पर भीड़ बढ़ने लगी तो उसकी चपेट में ब्रिज पर पहले से बैठे और सोए हुए लोग भी आ गए। आलम ये हुआ कि खचाखच भीड़ से कुछ लोग गिर कर वहीं दब गए, ट्रेन पकड़ने की जल्दी में लोग एक के ऊपर एक चढ़ते चले गए जिससे भगदड़ मच गई। इस घटना की जांच में बताया गया कि हजारों लोग एक साथ प्लेटफॉर्म 16 पर जाने के लिए ब्रिज पर इक्कठा हो गए इसीलिए भगदड़ जैसी स्थिति बन गई। वहीं रेलवे प्रशासन का कहना है कि शनिवार को प्रयागराज के लिए 1500 से अधिक सामान्य श्रेणी के टिकट बेचें गए थे जिससे रोज के मुकाबले कही ज्यादा लोग स्टेशन पर मौजूद थे। लेकिन महाकुंभ जाने वाली भीड़ तो पिछले एक महीने से हो रही है फिर रेलवे प्रशासन इस भगदड़ को कैसे नहीं रोक पाई? जब ब्रिज पर भीड़ इक्कठा होने लगी तब RPF अधिकारी कहा थे? घटना पर मौजूद अन्य लोगों ने बताया कि भगदड़ वाली रात एक भी अधिकारी भीड़ को नियंत्रित करने के लिए मौजूद नहीं था।
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MAHAKUMBH
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