पूर्वोत्तर में स्थित मणिपुर राज्य में लूट, हत्याओं और अशांति की खबरें आम हो गई हैं। आपको बता दे की मणिपुर में क़रीब डेढ़ साल पहले हिंसा का दौर शुरू हुआ था।उस वक़्त मणिपुर हाई कोर्ट ने मार्च 2023 को एक आदेश में राज्य सरकार से मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करने की बात पर जल्दी विचार करने को कहा था। इस आदेश के बाद ही राज्य में जातीय हिंसा भड़क गई थी और कई लोगों की जान भी गई।
राज्य के मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग को इस हिंसा की मुख्य वजह माना जाता है। राज्य में अभी भी शांति बहाल नहीं हुई, ताजा मामला जिरीबाम जिले का है, जहां शनिवार को हुई हिंसा के दौरान 5 लोगों की मौत हो गई। वैसे तो मणिपुर में पिछले साल से हालात तनावपूर्ण बने है लेकिन कुछ महिनों से स्थिति थोड़ी नियंत्रण में थी लेकिन अब हवाई बमबारी, अत्याधुनिक हथियारों के लिए ड्रोन के इस्तेमाल के बाद हालात काफी बिगड़ गए हैं।
पुलिस को तलाशी में मिनी स्नाइपर राइफल, पिस्तौल, हैंड ग्रेनेड जैसे तमाम आधुनिक हथियार मिले हैं। वहां हालातों का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है की अब वहां दोनो समुदायों के पास ऐसे आधुनिक हथियार हैं जिनका इस्तेमाल आम तौर पर युद्ध में किया जाता है,लोगों ने पहाड़ों और घाटियों में बंकर बना रखे हैं। सबसे अहम सवाल ये है की मणिपुर में हिंसा थम क्यों नही रही ? इसके कई कारण हैं लेकिन इसे आसान भाषा में समझे तो ये पूरी लड़ाई 2 जाति समूहों के बीच की है। ज्यादातर मैतिय समुदाय के लोग घाटी में रहते हैं वहीं कुकी समुदाय के लोग पहाड़ों पर।
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