कान्हा की नगरी बरसाना में कृष्ण जन्माष्टमी के कुछ दिनों बाद ही भाद्रपद शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को उनकी प्रिय सखी राधा रानी का जन्म उत्सव पूरे उत्साह और उल्लास के साथ मनाया जाता है। यह दिन देश भर में राधाष्टमी के नाम से जाना जाता है। राधाष्टमी भगवान और मनुष्य के बीच एक ऐसा अद्वितीय सम्बन्ध का प्रतीक है, जो श्रीकृष्ण और राधारानी के प्रेम को दर्शाता है। इस साल राधाष्टमी 11 सितंबर को मनाई जा रही है।
ऐसी मान्यता है की राधाष्टमी का व्रत रहने से और उनका पूजन करने से घर में सुख समृद्धि बनीं रहती है। भगवान कृष्ण के भक्तों का प्रिय धार्मिक स्थल, उत्तर प्रदेश, मथुरा के बरसाने में स्थित है। ये धार्मिक स्थल पूरी तरह से राधा रानी को समर्पित है। राधारानी का यह मंदिर 250 मीटर ऊँची पहाड़ियों पर स्थित है, जिसे ‘बरसाने की लाडली’, ‘राधा रानी का महल’ और बरसाने का माथा भी कहा जाता है। इस मंदिर की इतिहास से जुड़ी कुछ धार्मिक कथाएं भी है। राधा अष्टमी के दिन इस मंदिर को फूलों से सजाया जाता है, साथ ही राधा रानी को छप्पन प्रकार का भोग भी लगाया जाता है।
इतना ही नहीं जब राधा अष्टमी का त्यौहार आने वाला होता है उस समय राधे के भक्त राधे के धुन में सराबोर होकर बरसाने पहुंचते हैं, और नाच नाच कर झूम उठते हैं। राधा अष्टमी ही साल में एक ऐसा दिन होता है, जब भक्तों को श्री राधा रानी जी के शुभ चरणों के दर्शन प्राप्त होते हैं, बाकी अन्य सभी दिनों में राधा जी के पैर ढके रहते हैं। कहते हैं आज के दिन राधा रानी अपने दरबार में प्रेम के अखंड आशीर्वाद के साथ-साथ धन और ऐश्वर्य का भी वरदान देती हैं।
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