Home » चैत्र नवरात्रि का महत्व… पौराणिक मान्यताएं
Festivals Gujarat India News Religious Spirituality Uttar Pradesh

चैत्र नवरात्रि का महत्व… पौराणिक मान्यताएं

चैत्र नवरात्रि हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे हर साल चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से लेकर नवमी तिथि तक मनाया जाता है। चैत्र नवरात्रि के पहले दिन से ही हिन्दू नववर्ष का आरंभ होता है जो इस वर्ष रविवार 31 मार्च से शुरू हो रहा है। यह नवरात्रि विशेष रूप से शक्ति की प्रतीक देवी दुर्गा के नौ रूपों और उनके सिद्धांतों की पूजा के लिए प्रसिद्ध है। चैत्र नवरात्रि का धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से बहुत महत्व है।

देवी दुर्गा के नौ रूपों की आराधना

चैत्र नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा की नौ रूपों की पूजा अर्चना की जाती है, जिनमें सर्वप्रथम मां शैलपुत्री, मां ब्रह्मचारिणी, मां चंद्रघंटा, मां कूष्मांडा, मां स्कंदमाता, मां कालरात्रि, मां महागौरी और मां सिद्धिदात्री की पूजा होती है। ऐसा माना जाता है कि इन नौ दिनों में देवी की पूजा करने से भक्तों को सुख शांति और समृद्धि प्प्राप्त होती है।

बुराई पर अच्छाई का प्रतीक

पौराणिक कथाओं के अनुसार, चैत्र नवरात्रि का पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह पर्व विशेष रूप से देवी दुर्गा द्वारा महिषासुर का वध किए जाने के लिए मनाया जाता है।

नवरात्रि का व्रत

चैत्र नवरात्रि के नौ दिनों में लोग व्रत रखते है और पूजा पाठ कर मंत्रों का जाप करते हैं। इस दौरान वो सिर्फ़ फल और सात्विक आहार का सेवन करते हैं। नवरात्रि के अंतिम यानी नौवें दिन भक्त हवन और कन्या पूजन कर व्रत का समापन करते हैं।

चैत्र नवरात्रि एक धार्मिक और सांस्कृतिक पर्व है, जो हमें शक्ति, संयम और बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश देता है। यह पर्व आत्मशुद्धि और आत्मबल को बढ़ाने का अवसर प्रदान करता है, जिससे व्यक्ति अपने जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार कर सकता है।
आप सभी को चैत्र नवरात्रि और हिंदू नववर्ष की बहुत बहुत शुभकामनाएं।।