राजनीति का अपराधिकरण हो या राजनीति में दबंगों, माफियों की इंट्री, इसके पीछे कांग्रेस का हाथ रहा है ऐसा हम नहीं कह रहे हैं ये मानना रहा है कुछ वरीष्ठ पत्रकारों का ….उनका कहना है की 80 के दशक में उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से इसकी शुरूआत हुई थी। बाद में इस परंपरा को दूसरे श्रेत्रीय दलों ने आगे बढ़ाया। 2024 के लोक सभा चुनाव में दबंगों की भूमिका देखने को मिली। ऐसा कहना है। कुछ जानेमाने वरिष्ठ पत्रकारों का जिनसे हमारे संवाददाता संदीप पाल ने की खास बात चीत…… सबसे पहले वरिष्ठ पत्रकार अतुल चन्द्रा से सुनिए की कैसे राजनीति में आपराधियों के मदद लेने का काम सबसे पहले कांग्रेस ने किया था। वहीं वरिष्ठ पत्रकार रतन मणी लाल के मुताबिक 80 के दशक में कांग्रेस ने गोरखपुर से चुनाव में जीत दर्ज करने के लिए यहां के माफियाओं से मदद ली थी। हिन्दुस्तान टाइम्स की ‘‘ रेजीडेंट एडिटर’’ सुनीता एरोन का मानना है कि राजनीति में कांग्रेस के माफियों और दबंगों को इंट्री देने के बाद से ही दूसरी पार्टियों ने चुनाव जीतने के लिए इन अपराधियों की मदद लेने का काम शुरू कर दिया था । इसी कड़ी में वरिष्ठ पत्रकार शरद प्रधान का कहना है कि पहले इन दबंगों और माफियाओं का इस्तेमाल बूथ कैपचरिंग और वोटरों को डराने के लिए किया जाता था और इन्हे सत्ता दल का पूर्ण समर्थन प्राप्त होता था। इन्हे शासन, प्रशासन का कोई खौफ नहीं होता था। बाद में यह दबंग, माफिया इतने मजबूत हो गये कि इन्होंने किसी नेता को चुनाव में जीताने के बजाय खुद चुनावी मैदान में उतरने का फैसला किया और कई माफिया चुनाव जीते भी।
80 के दशक से शुरू हुई थी राजनीति में माफियाओं की एंट्री तब से अब तक क्या हुआ?
5 months ago
76 Views
2 Min Read
Add Comment