सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला लेते हुए गैर मान्यता प्राप्त मदरसों के सभी छात्रों को सरकारी स्कूलों में ट्रांसफर करने के आदेश को गलत बताते हुए इस पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही अदालत ने मदरसों से गैर मुस्लिम छात्रों को हटाने के फैसले पर भी रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला उत्तर प्रदेश और त्रिपुरा सरकार के लिये एक बड़ा झटका माना जा रहा है।
आपको बता दें, उत्तर प्रदेश और त्रिपुरा सरकार का यह आदेश राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) की रिपोर्ट पर आधारित था। इसमें राइट टू एजुकेशन एक्ट 2009 का पालन नहीं करने वाले मदरसों की मान्यता रद्द करने और सभी मदरसों की जांच करने को कहा गया था। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश और त्रिपुरा सरकार के इस आदेश पर रोक लगा दी। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को नोटिस जारी कर चार हफ्तों में जवाब देने को कहा है।
बता दें, इस रिपोर्ट पर विपक्ष ने बीजेपी सरकार पर जमकर निशाना साधा था। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भाजपा पर अल्पसंख्यक संस्थानों को चुनिंदा तरीके से निशाना बनाने का आरोप लगाया था। इसके बाद एनसीपीसीआर के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने कहा था कि भाजपा सरकार ने कभी भी ऐसे मदरसों को बंद करने की मांग नहीं की थी, बल्कि उन्होंने इस बात की सिफारिश की थी कि इन संस्थानों को दी जाने वाली सरकारी फंडिंग बंद कर दी जानी चाहिए।
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