वक्फ संशोधन विधेयक पर जम्मू-कश्मीर विधानसभा में विवाद जारी है। वक्फ़ बिल को लेकर सरकार का कहना है कि, यह विधेयक वक्फ बोर्डों को मजबूत बनाने और उनकी गतिविधियों को पारदर्शी बनाने के लिए लाया गया है। वहीं विपक्षी दलों ने इसका विरोध जताते हुए कहा कि यह विधेयक मुसलमानों के अधिकारों का हनन करता है और वक्फ बोर्डों को कमजोर बनाएगा। सदन की कार्यवाही के दौरान नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी के विधायकों ने इस मुद्दे पर चर्चा की मांग की, जिसे विधानसभा अध्यक्ष ने खारिज कर दिया। जिसके बाद सदन में दोनों पक्षों में विरोध के दौरान विधायकों के बीच हाथापाई भी हुई।
जानकारी के मुताबिक हंगामा बढ़ते देख विधानसभा अध्यक्ष अब्दुल रहीम राथर ने सदन के नियम 58 का हवाला देते हुए कहा कि, यह मामला वर्तमान में न्यायालय में विचाराधीन है इसलिए प्रश्नकाल स्थगित कर इस पर चर्चा नहीं की जा सकती।
विधानसभा अध्यक्ष की इस टिप्पणी के बाद नेशनल कांफ्रेंस, कांग्रेस और पीडीपी के सदस्यों ने विरोध जताया और प्रश्नकाल के स्थगन की मांग पर अड़े रहे। विपक्षी दलों ने विधेयक के संविधानिक मुद्दों पर सवाल उठाए हैं। उनका तर्क है कि यह विधेयक संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 का उल्लंघन करता है, जो समानता और भेदभाव के अधिकारों से संबंधित हैं।
वक्फ़ बिल पर सदन में सत्ता पक्ष विपक्ष का हंगामा

सरकार का तर्क है कि यह विधेयक वक्फ बोर्डों को मजबूत बनाने और उनकी गतिविधियों को पारदर्शी बनाने के लिए है। उनका कहना है कि यह विधेयक मुसलमानों के हितों की रक्षा करेगा।
विपक्षी दलों का कहना है कि यह विधेयक मुसलमानों के अधिकारों का सिर्फ हनन करता है और वक्फ बोर्डों को कमजोर बनाएगा। साथ ही उनका कहना है कि यह विधेयक संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 का उल्लंघन करता है। वक्फ संशोधन विधेयक पर जम्मू-कश्मीर विधानसभा में विवाद अभी भी जारी है। सरकार और विपक्षी दलों के बीच इस मुद्दे पर सहमति नहीं बन पाई है।
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