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क्या आपको भी सताता है डर…. कहीं आप भी तो नहीं हैं FOMO का शिकार?

FOMO-fearofmissingout
FOMO-fearofmissingout

यह डर किसी मेले या स्टेशन में पीछे छूट जाने का नहीं है, बल्कि यह डर है अपनी पहचान, अपना व्यक्तित्व या समाज में अपनी रिस्पेक्ट के खो जाने का। और इस डर को और भी भयावह बना देता है सोशल मीडिया। जी हां, दोस्त, परिवार या समाज में पीछे छूट जाने के इस डर को फियर ऑफ मिसिंग आउट (FOMO) कहते हैं। आइये जानते हैं क्या है फोमो….

क्या है फोमो ?

फियर ऑफ मिसिंग आउट यानी फोमो एक मेंटल डिसऑर्डर है, जिसमें व्यक्ति को दूसरों से पीछे छूट जाने का डर सताता रहता है। आमतौर पर लोगों के इस डिसऑर्डर की वजह उनके सोशल मीडिया अकाउंट्स होते हैं। ऐसे में जो इसका फोमो का शिकार होते हैं वे हर समय सोशल मीडिया पर यह चेक करते रहते हैं कि दूसरे लोग क्या पोस्ट कर रहे हैं, वो कहां घूम रहे हैं, या उनकी पोस्ट की तुलना में मेरी पोस्ट पर कितने लाइक्स या कमैंट्स आ रहे हैं? हम आपको बता दें कि इसके कुछ लक्षण भी हैं , जिन्हें आप अगर समय रहते पहचान लें, तो फोमो से छुटकारा पाना आसान हो सकता है,
सूचना ना मिलने पर बेचैनी

यह फोमो का बहुत बड़ा लक्षण है। मान लीजिए, किसी दिन आपको आपके मित्र से किसी प्रकार की कोई सूचना ना मिले, और ना ही आपका फोन कोई उठाये। और अगर आपको स़िर्फ इस कारण यह लगने लगे कि आपका फोन जान-बूझकर नहीं उठा रहे, ताकि आपको उनके बारे मे कुछ पता ना चल सके, तो यह फोमो के लक्षण हो सकते हैं।

दूसरों की पोस्ट पर नजर रखना

जिन लोगों को यह समस्या सताती रहती है कि सामने वाले की पोस्ट पर कितनी लाइक आई आउट कितनी कमैंट्स हैं तो यह भी फोमो का लक्षण हो सकता है। ऐसे लोग हरदम बेचैन रहते हैं। ऐसे लोगों को आमतौर पर एंग्जाइटी, मूड स्विंग्स, अकेलापन, असुरक्षा की भावना, आत्मविश्वास में कमी और डिप्रेशन जैसी बीमारियों का भी सामना करना पड़ सकता है।

हर जगह रहने की इच्छा

कई बार तो फोमो से शिकार व्यक्ति अपनी योग्यता से बाहर के काम भी करने लगता है, जिससे उसे निराशा का ही सामना करना पड़ता है। इस तरह के लोग हर तरह का अनुभव लेना चाहते है, फिर चाहे वह उसके काम का हो या ना हो।